आज नहीं पर काफी दिनों से मुझें ये सवाल परेशान कर रहा है कि क्युँ मैं नक्सली हुँ? मैं नहीं जानता पर ऐसा हैं। मैं सोचता हुँ क्या मैं एक नक्सली जन्मा था? पता नहीं पर मेरी माँ ने तो मुझे अपने जिगर के टुकड़े के तरह ही पाला और हमेशा अपने आँखों का तारा बना कर रखा तो क्युँ मैं आज एक नक्सली हुँ?
लोग मुझें नक्सली कहते हैं, परंतु मैने इसकी कोई शिक्षा नहीं ली हैं। आज मैं स्कूलों के भवन गिराता हुँ पर मेरे अध्यापको ने मुझें कभी ऐसी शिक्षा नहीं दी। मैनें भी अपने भविष्य के लिए सपना देखा था, परंतु आज मैं दूसरो के सपने उजाड़ता हुँ। मैं क्युँ एक नक्सली हुँ, कोई क्युँ नक्सली बनता हैं? मैं हमेशा ये सोचता हुँ की आखिर ऐसा क्युँ हैं और मैं निरतंर इन प्रश्नों के उत्तर ढुढ़ने का प्रयास करता हुँ। आज देश ही नहीं पूरा विश्व मुझे नक्सली कहता हैं, पर न कोई ये जानना चाहता हैं और न ही इस बारे में चर्चा करना चाहता हैं की आख़िर मैं और मुझ जैसे अनेक नक्सली क्युँ बने?
एक लड़ाई या युँ कहे विरोध करने का तरीका जिसे कानु सान्याल ने शुरु किया था, मैं उस लड़ाई का ही एक सिपाही हुँ। अब हुँ नहीं था, क्योकि अब मैं एक नक्सली हुँ। हाँ मैं बुरा हुँ पर क्या मैं अपने नेताओं और सिस्टम के आगे बोना नहीं लगता? मैं ये तर्क इस लिए नहीं दे रहा हुँ क्योंकि मुझें खुद को सही और दूसरों को गलत साबित करना है। मैं तो बस ये बताना चाहता हुँ की मुझ में और मेरे जैसे दूसरों में भी कोई बात हैं, बहुत कम लोग ही खुद से नक्सली बनते हैं ज्य़ादातर तो परिस्थिती के कारण मजबुरी में इस राह पर चलते हैं। मैं ये मानता हुँ कि मैं कमजोर हुँ, मुझ में सहन शक्ति कम हैं, मुझ में परिस्थिती से लड़ने की ताकत नहीं हैं इस लिए तो मैं नक्सली हुँ।
मेरी राय में............
मैंने इस विषय पर इस लिए नहीं लिखा की मैं नक्सलवाद का समर्थक हुँ या ये विचारधारा मुझें पसंद हैं। वैसे कोई विचारधारा सही और गलत नहीं होती हैं, हम उसके अनुशरण करने वाले उसे सही और गलत का स्वरुप देते हैं। मैंने तो इस विषय पर बस इस लिए लिखा क्योकि मुझे लगता हैं कि हमें एक बार इस पहलु पर भी सोचना चाहिए..........