Monday, January 31, 2011

हाय रे ये नौकरी………..


मैने ये कभी नहीं सोचा था कि मैं भी कभी इस विषय पर लिखूंगा, परंतु क्या कहूं परिस्थिति भी इन्सान को क्या-क्या करने पर मजबूर कर देती है। आज मैं एक मैं बनकर नहीं बल्कि हम बनकर लिख रहा हूँ।

परिस्थिति यह है कि आज समय ऐसा आ चुका है कि हम सब एक ऐसी दहलीज पर खड़े हैं, जहाँ से बिल्कुल एक नई दुनिया की शुरुआत होती है। भाईसाहब मास्टर डिग्री पूरी होने वाली है और नौकरी की मार शुरू हो चुकी है। हर दिन एक नया तरीका ईजाद होता है हमारे दिमाग में नौकरी ढूंढना का। कोई अपना फील्ड चेंज कर रहा है तो कोई कुछ भी करने को तैयार है। कुछ पुराने रिश्तों को फिर से जिन्दा कर रहे हैं, तो कुछ लिंक बनाने का एक भी मौका गंवाने को तैयार नहीं है।

वैसे ये नौकरी की मार अब एक त्रासदी और माहमारी की तरह फैल चुकी है। हर जगह हर बैठक में चर्चा का मुद्दा बस एक ही है-क्या होगा हमारा यार, कैसे मिलेगी नौकरी पर इन सबके बीच में भी कुछ तीसमारखाँ हैं जो इस संवेदनशील बहस के बीच में खुद की शेखी बखाने से बाज नहीं आते और बातें तो ऐसी करते हैं जैसे कि मानो कि कितने सार ऑफर लेटर अभी से ही उनकी जेब में रखे पड़े हैं। क्या कहें हर जगह हर वैरायटी के नमूने होते है।

अब इसे नौकरी की मार का प्रकोप ही कहें ना कि लोग नौकरी ढूंढना छोड़कर खुद को इन्टरप्रयोनर या सरल शबदो में कहें तो खुद का बिजनेस करने जैसा बड़ा और भयावह फैसला ले रहे हैं। इस पूरे प्रकरण में मुझे अरे सॉरी हमें जो डॉयलॉग सबसे सही और सटीक लग रहा है वो थ्री इडियट का डॉयलॉग है- अगर दोस्त फेल कर जाए तो दुःख होता है, पर अगर दोस्त टॉप कर जाए तो ज्यादा दुःख होता है। पर ये दुःख ऐसा होता है कि इसे आप दिखा नहीं सकते। अब अगर दोस्त की नौकरी लग रही हो तो ऐसी कुछ परिस्थिति बन जाती है।

कुल मिलाकर बात बस यह है कि समय बहुत तेज रफ्तार से बीत रहा है और देखते-देखते कब यह बचे 5 महीन बीत जाएंगे और हम सबकी स्नातकत्तोर(सुनने में काफी भारी भरकम लगा ना, अब क्या करें कम से कम इन शब्दों का प्रयोग ही करके खुद को सांत्वना देते हैं कि इतनी भारी भरकम पढ़ाई तो की है हमने कम से कम) की पढ़ाई भी पूरी हो जाएगी, पर इन सबके बीच आज जो सबसे बड़ा प्रश्न है वह यह है कि क्या हमें नौकरी मिलेगी…? अंग्रेजी में कहें तो क्या हम सैटल कर पायेंगे…..? यह प्रश्न आज हमारे जीवन पर भी एक प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं और हमारे दिल और दिमाग से बस एक ही आवाज आ रही है- हाय रे ये नौकरी......